महाकाल मंदिर खुलने की जल्दी क्यों?

प्रदेश मीडिया प्रभारी हरीश सिंह गुड पलिया ने बताया कि नई व्यवस्था से कहीं भगवान महाकाल सिर्फ वीआईपी लोगों के ही बनकर नहीं रह जावे?  लाक डाउन में महाकाल मंदिर दर्शनार्थियों के लिए खोलने की कवायद जोरों पर है, कहां जा रहा है की सोशल डिस्टेंस पालन हेतु श्रद्धालुओं हेतु विशेष क्रम व्यवस्था (अनुमति पत्र) लागू की जाएगी। पूर्व में वर्षों से देखा जाता रहा है की मंदिर व्यवस्थाओं के नाम पर मंदिर में वीआईपी कल्चर बढ़ता ही चला गया आम श्रद्धालु घंटों लाइन में लगकर भी 1 सेकंड भी ठीक से बाबा के दर्शन नहीं कर पाता था वही विशेष सुविधा (जोकि नाना प्रकार के स्त्रोत से प्राप्त होती रही है) प्राप्त व्यक्ति अपने रसूख, पहुंच एवं धन बल के कारण घंटों गर्भ गृह में टिकता रहा है । ऐसे में लाकडाउन के दौरान  की जाने वाली व्यवस्था सिर्फ इन वीआईपी के लिए सुलभ बन कर ना रह जाए। क्योंकि आम श्रद्धालु की औकात ही किया कि वह बिना एप्रोच के बाबा की एक झलक पाली। मंदिर को अंधी आय का स्त्रोत्र मान व्यापार केंद्र बना चुके कर्ण धारों एवं भस्मारती विशेष दर्शन के नाम पर दलाली से अकूत धन धन कमाने वाली गेंग की सीधी हथेली मैं मीठी खुजली चलना शुरू हो गई है। केंद्र व राज्य सरकार की नई नीति अनुसार मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है तो जन स्वास्थ्य सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए आम व खास सभी श्रद्धालुओं का मंदिर गर्भ गृह में तीन माह तक प्रवेश पूर्णता वर्जित रहे वह इस नियम का कड़ाई से पालन हो, सिर्फ पूजन व आरती करने हेतु पुजारी


को ही गर्भ ग्रह में तीन माह तक जाने की अनुमति  हो। यहां तक कि नंदी ग्रह में भी दर्शना टी का प्रवेश प्रतिबंधित हो। मैं जानता हूं कि मेरे यह विचार ऊपर वर्णित कुछ पात्रों को पचा पाना अर्थ पिपाशा के कारण कठिन होगा उनसे मेरा कर बद निवेदन है कि निजी स्वार्थ को भूल कर राष्ट्रीय हित की दृष्टि से अंगीकार कर इस व्यवस्था का हम आध्यात्म की दृष्टि सेभी देखें तो कई प्रकार ज्योतिषियों द्वारा भी अध्ययन कर माह  सितंबर में को रोना महामारी के अंत को भविष्यवाणियां की गई है आगामी 3 माह यानी सितंबर तक सतकर्ता बरतना जरूरी है।