बेबस मजदूरों का दर्द, सुन लो सरकार?

चिलचिलाती धूप में रहकर उनका सहयोग इस देश में लगभग 90% मजदूर अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के लिए सहायता हेतु अविस्मरणीय है। आज जहां कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा के जनसहयोग कर स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने में मदद की वह अपने आप में काबिले तारीफ है।


सत्ताधारीपार्टी के सांसद विधायक व पार्षदों ने भ्रमित कर लोगों के साथ खिलवाड़ किया, जो कि निंदनीय कृत्य है। मजदूरों को यह बात हमेशा याद रहेगी। देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी इस बात की समीक्षा क्यों नहीं कर रहे कि लगभग 90% मजदूर वर्ग दैनिक मजदूरी कर परिवार के लोगों के लिए राशन की व्यवस्था करता हूं और अपना जीवन यापन करता है। आज भी इतना कष्टकारी जीवन यापन कर रहा है कि सत्ता के गलियारों में चर्चा करते हुए उसे उपयोग कर राजनीति का मौहरा बनाया जा रहा है हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कड़ी मेहनत करना पड़ेगी। आज देश में मदद की आवश्यकता है न कि राजनीति की। प्रदेश के संपूर्ण जिलों में भ्रष्टाचार के चलते नेताओं के चमचों ने अधिकारी वर्ग के लोगों के साथ मिलकर लॉक डाउन के लिए गरीबों के लिए राशन की जालसाजी की ओर मजदूर वर्ग का हक छीन लिया। आज संपूर्ण देश के हर प्रांत में रहकर विपक्ष द्वारा जनहित में इस मुद्दे को लेकर आवाज नहीं उठाई जा रही, जबकि यह समय जनसेवा का है। आज का समय तो निकल जायेगा और आगे आने वाली पीढ़ी को बताएगी कि सत्ता के नशे में चूर चंद दलाल अपने स्वार्थ के कारण अपने परिवार की रक्षा करने के बजाय अपने स्वार्थ सिद्ध करने में लगे रहे। ये कठिनाईयों का सामना मजदूर वर्ग कर लेगा,पर भविष्य में कोई भी व्यक्ति अपनी तकलीफ को याद कर वरतवर्त समय को कौसेगा।      देश के प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री को चाहिए कि इस वातावरण को शुद्ध करके अपने दायित्वों का निर्वहन कर जनता की मदद करें।